" वह ऐसा दिन "
चला गया वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन |
एक दिन कर दिखया वह काम,
जग में चमकने लगा उसका नाम |
इस काम से वह पीछे नहीं हटा,
इस दिन एक समस्या घटा |
था वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन |
यह एक पते की बात है,
यह एक रात की बात है |
कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं संतोष कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं | संतोष को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | संतोष बड़े होकर एक साइंटिस्ट बनना चाहते हैं और अपने परिजन की सेवा करना चाहते हैं | संतोष ने कक्षा चार से कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था और आज बहुत अच्छी कवितायेँ लिखते हैं |
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