मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कविता : बिल्ली

" बिल्ली " 

 बिल्ली हूँ मैं  बिल्ली हूँ,
बड़ी सरारती  बिल्ली हूँ | 
सबके घर में जाती हूँ, 
दूध मलाई खा जाती हूँ | 
 घर वाले जब देखते हैं,
घर से मुझे भगाते हैं | 
जब मैं दौड़ नहीं पाती हूँ,
म्याऊँ -म्याऊँ चिल्लाती हूँ | 
जब बिल्ली घर में आती हैं, 
चूहों को भी खा जाती है |  
 बिल्ली हूँ मैं  बिल्ली हूँ, 
बड़ी सरारती  बिल्ली हूँ | 

कवि : विक्रम कुमार ,कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के गया जिला के रहने  वाले हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं | विक्रम बड़े होकर एक बड़े कविकार और रेलवे इंजीनियर बनना चाहते हैं | विक्रम अपनी कविता में जानवर के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते हैं | 

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