" तूने क्या कर डाला "
तू ने ये क्या कर डाला,
इस दुनियाँ को बदल डाला |
न देखी तूने खाई ,न देखा नाला,
जहाँ भरा है गन्दगी का प्याला |
पर तूने एक गलती कर दी,
इस गर्मी को और बढ़ा दी |
बैठा है ऊपर काला - काला,
लगा दिया वहाँ जाला - जाला |
तू ने ये क्या कर डाला,
इस दुनियाँ को बदल डाला |
कवि : समीर कुमार, कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद के रहने वाले है | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है, और हमेशा ऐसी कविता लिखते हैं जो समाज में काम आ सके | समीर को इसके अलावा क्रिकेट खेलना बहुत पसंद हैं | समीर बड़े होकर एक महान क्रिकेटर बनना चाहते हैं |
1 टिप्पणी:
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