" हवाओं के झरोके में "
चलती हुई हवाओं के झरोके में,
कुछ तो करना होगा इस मौके में |
देखते देखते गुजर जाएंगे ये दिन,
जब तुम भविष्य की राहों में रहोगे |
तब याद आयेंगें ये बीते हुए दिन,
लेकिन तुम्हें सपना करना है रंगीन |
परिश्रम करना होगा तुम्हें दिन -रात,
पता नहीं चलेगी बीते हुए बात |
ये हवाएँ तुम्हारे जज्बों को उड़ाएगी,
कोशिश है ये तुम्हारे जीवन को बनाएगी |
चलती हुई हवाओं के झरोके में,
कुछ तो करना होगा इस मौके में |
कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं अखिलेश माँझी जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | अखिलेश के माता - पिता ईंट भट्ठों में काम करते हैं | अखिलेश बड़े होकर एक कविकार और वायुसेना में जाना चाहते हैं | यह कविता बहुत ही अच्छे लिखते हैं |
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