" बारिश "
दोपहर की वह बात थी,
धूप -गर्मी की बरसात थी |
टपक रहा था सिर से पानी,
सभी लोगो ने नहाने की ठानी |
राहत की भीख माँग रहे थे,
सभी के चेहरे उदास थे |
सोच रहे थे कैसे छुटकारा मिल जाए,
थोड़ा सा गर्मी का पारा कम हो जाए |
फिर बारिश हुई झमा झम,
बारिश फिर हुई न कम |
नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बहुत फुर्तीले किस्म के हैं | विक्रम को कविताएँ लिखने का बहुत शौक है और इन्होंने अभी तक बहुत सारी कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं |
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