आलू भइया चले घूमने ।
कद्दू के संग लगे झूमने॥
तब तक दौड़ा शिमला आया।
अपने संग गाजर को लाया॥
मिर्च टमाटर दूर खड़े थे।
मटर और गोभी डंटे पड़े थे॥
बैगन थोड़ा मस्ती में था।
कटहल राजा गस्ती में था॥
लगी झूमने धनिया रानी।
संग में नाचे ककड़ी नानी॥
तभी रंग में भंग पड़ गया।
कद्दू शिमला पर चढ़ गया॥
शिमला को फ़िर गुस्सा आया।
बगल से उसने डंडा लाया॥
शिमला ने कद्दू को मारा।
कद्दू लुढक गया बेचारा॥
इतने में लौकी आ गई ।
चारो तरफ से भीड़ छा गई।।
लौकी पूछी क्या हुआ है भाई ।
क्यो कर रहे हो दोनों लड़ाई॥
बंद करो आपस का झगड़ा।
किसी करो न कोई रगड़ा॥
आपस में मिलजुलकर रहना।
सब सब्जी का यही है कहना ॥
आपस में जब मिल जाते है ।
अच्छी सब्जी बन जाते है॥
कद्दू के संग लगे झूमने॥
तब तक दौड़ा शिमला आया।
अपने संग गाजर को लाया॥
मिर्च टमाटर दूर खड़े थे।
मटर और गोभी डंटे पड़े थे॥
बैगन थोड़ा मस्ती में था।
कटहल राजा गस्ती में था॥
लगी झूमने धनिया रानी।
संग में नाचे ककड़ी नानी॥
तभी रंग में भंग पड़ गया।
कद्दू शिमला पर चढ़ गया॥
शिमला को फ़िर गुस्सा आया।
बगल से उसने डंडा लाया॥
शिमला ने कद्दू को मारा।
कद्दू लुढक गया बेचारा॥
इतने में लौकी आ गई ।
चारो तरफ से भीड़ छा गई।।
लौकी पूछी क्या हुआ है भाई ।
क्यो कर रहे हो दोनों लड़ाई॥
बंद करो आपस का झगड़ा।
किसी करो न कोई रगड़ा॥
आपस में मिलजुलकर रहना।
सब सब्जी का यही है कहना ॥
आपस में जब मिल जाते है ।
अच्छी सब्जी बन जाते है॥
कविता: मुकेश कुमार, कक्षा ७, अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार, कक्षा ५, अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार, कक्षा ५, अपना घर
5 टिप्पणियां:
अच्छी रचना है ..
बहुत मौलिक और बढ़िया रचना है. बच्चों को बधाई.
आपकी रचना " सब्जी का बाजार " बहुत बढ़िया लगी . इसकी चर्चा समयचक्र पर.
सचमुच,
बहुत अच्छी
सब्जी बनी है!
मस्त कविता
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