रविवार, 17 मई 2009

कहानी: मास्टरनी रीना ने बदली गाँव के तस्वीर

मास्टरनी रीना ने बदली गाँव के तस्वीर
एक समय की बात है। एक गाँव में एक गरीब आदमी रहता था, जिसका नाम दयाशंकर था। वह बहुत ही निर्धन आदमी था, उसका जन्म १७ जनवरी १९६६ को हुआ था। वह किसानी का काम करता था। उसके गाँव का नाम रामपुर था, वह गाँव बहुत साफ - सुथरा और खुशहाल था, लेकिन वंहा के लोग बहुत गरीब थे। उस गाँव में शिक्षा का कोई प्रबंध नही था। दयाशंकर अनपढ़ आदमी था, इस कारण जब वह पास के शहर में काम करने जाता तो ठेकेदार उसे पूरी मजदूरी न देकर सिर्फ़ आधी मजदूरी देता था। दयाशंकर अपने चारो बेटों को पढ़ना चाहता था, लेकिन रामपुर में कोई स्कूल ही नही था। वहां के प्रधान उमाशंकर बड़े ही दुष्ट प्रकार के इन्सान थे। वे सिर्फ़ लोगों से वोट मांगते थे मगर गाँव की समस्याओं की तरफ कोई ध्यान नही देते थे। गाँव के सड़क, नाली लोगो को रासन, स्कूल आदि किसी समस्याओ का निदान नही करते थे। दयाशंकर के पत्नी रीना थोड़ा बहुत पढ़ी - लिखी थी। रीना ने अपने बच्चो को ख़ुद पढ़ना शुरू किया, पास के और बच्चे पढ़ने आने लगे, दयाशंकर के घर में ही स्कूल शुरू हो गया। गाँव के और बच्चे सुनीता, मोनी, राजेश, ब्रिजेश, महेश, सोनू, रानी, गीता और अन्य सभी बच्चे स्कूल आने लगे। गाँव के सब लोग रीना को अब मास्टरनी जी कहके बुलाने लगे। गाँव के सभी बच्चें मन लगाकर पढ़ाई करने लगे, रीना भी उन्हें खेल खिलाकर , गीत, गाना के माध्यम से पढाने लगी, धीरे - धीरे सभी बच्चे लिखना, पढ़ना और जोड़- घटना आदि सब सीख गए। पढ़लिखकर बच्चे अब बड़े हो गए थे, वे शहर में जाकर मजदूरी करने लगे, पढ़े - लिखे होने के कारण उन्हें अब पूरी मजदूरी मिलाने लगी। अगले साल चुनाव आया सभी लोगो ने मिलकर मास्टरनी रीना को प्रधान के चुनाव में खड़ा किया। गाँव के सभी लोगो ने मास्टरनी रीना को अपना वोट दिया, वो चुनाव जीत कर रामपुर गाँव की प्रधान बन गई। अब गाँव में विकास के सारे काम शुरू हो गए। गाँव में पक्की सड़क और नाली बन गई मास्टरनी जी के प्रयास से उस गाँव में एक सरकारी स्कूल भी खुल गया। अब गाँव के सभी बच्चे स्कूल जाने लगे और पढ़ाई करने लगे। गाँव के लोगों को अब पूरी मजदूरी भी मिलने लगी, धीरे - धीरे पूरे गाँव के तस्वीर ही बदल गई। इस तरह से रामपुर गाँव एक शिक्षित और खुशहाल गाँव बन गया।
कहानी: मुकेश कुमार, कक्षा ७, अपना घर
पेंटिंग: आदित्य कुमार, कक्षा ६ , अपना घर


3 टिप्‍पणियां:

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी
रीना जी का अनुसरण करना चाहिए!

gunjan ने कहा…

its a very serous story but its true also.it should be fallow up by everyone.

arvind ने कहा…

WE THINK THIS IS TRU STORY BUT EVERY TEACHER CAN DO HIS/HER DUTY AND THOUGHTS ABOUT CHILD EDUCTION COMPLASERY THAN WE THINK 'MERA BHARAT MAHAN' MERA GAVA MAHAN JAI HIND.