" घूमने की आयी बारी "
घूमने की आयी बारी,
घूमेंगे हम दुनियाँ सारी |
दिल्ली , असम जाएंगे,
वहाँ के फल हम खाएंगे |
नए - नए जगह हम घूमेंगे,
दोस्तों को हम बताएंगे |
दुनियाँ की सैर हम कराएंगे,
दुनियाँ घूमने हम जाएंगे |
घूमने की आयी है बारी,
घूमेंगे हम दुनियाँ सारी |
नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर
3 टिप्पणियां:
super
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
सुंदर कविता
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