" बड़ी सोच "
छोटे हैं तो क्या हुआ,
हमारी सोच बड़ी है |
करते नहीं हम छोटे काम,
करते रहते हैं बड़े काम होता
सोच पाते नहीं हम,
बड़ा कर दिखलाते हम |
सोच हमारी ऊँचे अरमानों के,
खुले आकाश में बहती है |
सूरज की तरह चमकती है,
क्योंकि छोटा सोच पाते नहीं |
बड़े काम दिखलाते हम | |
नाम ; विशाल , कक्षा : ८थ , अपनाघर
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