" हूँ मजबूर "
हूँ मजबूर, हूँ सबसे दूर,
मेरी मंजिल न हुआ पूरा |
आगे आगे कदम है रखना,
मंजिल मेरी, मेरा काम परखना |
राह ऐसी है यह सुनहरा,
इस पर चलना काम है मेरा |
थककर हो गया हूँ चूर,
हूँ मजबूर सबसे दूर | |
नाम : देवराज , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : देवराज लगभग बहुत सी कवितायेँ लिख चुके है इससे ये पता चलता हैं की केवल जो बड़े - बड़े कविकार होते हैं वही केवल कवितायेँ लिख सकते हैं पढ़ाई करने का ये भी फायदा होता है | अपने जीवन में बहुत कुछ सिख रहे हैं और औरों को भी सीखना चाहिए |
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