स्वत: के नजारे में
ख्यालों की बारिश में ,
बारिश के झोंके में ।
पसीने मे लतपत ,
उस नज़ारे को देखने में ।
प्रार्थना की खुदा से ,
उन्हें लाने की ।
वो तो नहीं आये ,
ख्यालों के सपनों में ।
बारिश की कोई सीमा न रही ,
जिनको आना था ।
ख़ुदा की दुआ से ,
जिनके ख्यालों मे ।
डूबे थे हजारों लोग ,
उनके आने के ख्यालों में ही ।
बारिश के नज़ारे थे ,
वो जो पड़े थे ।
उनके ख्यालों में ,
वे ही बूंदों का मजा ले रहे थे ।
रास्ते में चलते हुये ,
हाथों में हाथ लिये ।
बालों को सहलाते हुये ,
ख्यालों की बूंदो से ।
स्वतः को ही वे ,
गम के बूँद पिला रहे थे ।
नाम : अशोक कुमार
कक्षा : 10
अपना घर ,कानपुर
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