शीर्षक:- प्रथ्वी को बचाओ
चल रहा है चक्र।
बदल रहा है युग।।
मानव ने तो हद कर दिया है।
प्रथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।।
मानव ने जंगलों को काट डाला।
बहुत से जीव-जंतु को मार डाला।।
अगर ऐसी ही तबाही मचेगी।
तो प्रथ्वी भी नहीं बचेगी।।
अभी भी हमारे पास मौका है।
प्रथ्वी को बचाने का।।
और प्रथ्वी को फिर से।
हरा-भरा और सुन्दर बनाने का।।
चल रहा है चक्र।
बदल रहा है युग।।
मानव ने तो हद कर दिया है।
प्रथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।।
मानव ने जंगलों को काट डाला।
बहुत से जीव-जंतु को मार डाला।।
अगर ऐसी ही तबाही मचेगी।
तो प्रथ्वी भी नहीं बचेगी।।
अभी भी हमारे पास मौका है।
प्रथ्वी को बचाने का।।
और प्रथ्वी को फिर से।
हरा-भरा और सुन्दर बनाने का।।
कवि :- ज्ञान कुमार
कक्षा :- 9
अपना घर
1 टिप्पणी:
वाह... बहुत ही बेहतरीन लिखा है.. यह वाकई गंभीर चिंतन का विषय है...
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