शीर्षक :- जिंदगी
जिंदगी के इस भव सागर का ।
कोई तो किनारा होगा ।।
मेरी इस जिंदगी मे ।
मेरा कोई तो सहारा होगा ।।
उस किनारे का ही तो ।
मुझे है इन्तजार ।।
वो जो आ जाये तो ।
जिंदगी में मेरे आये बहार ।।
जिंदगी बड़ी अनमोल है ।
बिना किनारे के नहीं चलती ।।
बचपन और बुढ़ापा दो स्टेप है इसके ।
जो बिना सहारे के नहीं चलते।।
जिंदगी के इस भव सागर का ।
कोई तो किनारा होगा ।।
मेरी इस जिंदगी मे ।
मेरा कोई तो सहारा होगा ।।
उस किनारे का ही तो ।
मुझे है इन्तजार ।।
वो जो आ जाये तो ।
जिंदगी में मेरे आये बहार ।।
जिंदगी बड़ी अनमोल है ।
बिना किनारे के नहीं चलती ।।
बचपन और बुढ़ापा दो स्टेप है इसके ।
जो बिना सहारे के नहीं चलते।।
नाम : सोनू कुमार
कक्षा :11
अपना घर, कानपुर
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