शीर्षक :-नेता
रात मे एक ,
घनघोर अँधेरे ।
कुछ आये मच्छर ,
पैसा बटोरे ।
उसने मेरे हाथ मे,
एक गड्डी जो थमाई ।
आने वाले पाँच साल की ,
कुर्सी उसने हथियाई ।
पाने के बाद कुर्सी,
उसने ऐसा हड़कंप मचाया ।
आने वाली सुबह को ,
न आये आंसू न जा रहा रोया ।
अब तो है केवल उनके ,
सिर पर भय सवार ।
बैठा था इन पांच सालो में ,
जो नेता हाथ - पांव पसार ।
उसने अपना मुंह ऐसा फाड़ा ,
और ऐसा पांव पसारा ।
उस नेता के चक्कर मे,
अपना देश फंसा बेचारा ।
एक रात ............
घनघोर अँधेरे।
आये मच्छर ,
पैसा बटोरे ।
नाम :सोनू कुमार
कक्षा :11
अपना घर ,कानपुर
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