बुधवार, 24 मार्च 2010

वो आते प्यारे बापू

वो आते प्यारे बापू

वह आता ।
बस्ती के अन्दर ॥
लाठी और डंडा लेकर ।
सिर पर उसके टोपी ॥
बदन में एक धोती ।
आँखों में एक गोल चश्मा ॥
सबको देता अपना प्यार ।
सबसे कहता -२ ॥
हिन्दू हो या मुस्लिम ।
सब हैं हम भाई- भाई ॥
येसी हमको उसने सीख दी ।
दुनियाँ है उसको प्यारी ॥
दुनियाँ करती उनको प्यार ।
वो थे हमारे बापू प्यारे ॥
जिनके नाम से ये दुनियाँ महान ।
वह आता ॥
बस्ती के अन्दर ।
लाठी और डंडा लेकर ॥

लेखक :अशोक कुमार
कक्षा :
अपना घर

2 टिप्‍पणियां:

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

अच्छी कविता लगे रहें......
...................
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html

Udan Tashtari ने कहा…

बालक अशोक का अच्छा प्रयास है, बधाई.