पानी की बढ़ती मात्रा ।
ले डूबेगी पृथ्वी को ॥
पिघल रही बर्फ पर्वतों से ।
और बढ रहा है पानी ॥
कट रहें पेड़ कम बचे हैं जंगल ।
बढ रहे मकान बढ रहीं हैं फैक्ट्रियां ॥
काम करो ये फैक्ट्री ।
कम होगा ये धुंआ ॥
बंद करो ये पेड़ काटना ।
बर्फ पिघलना होगी कम ॥
बचेगी नष्ट होने से पृथ्वी ।
और बचेगा आदमी ॥
मिलेगा जीवन फिर से ।
और बचेगी ये पृथ्वी ॥
ले डूबेगी पृथ्वी को ॥
पिघल रही बर्फ पर्वतों से ।
और बढ रहा है पानी ॥
कट रहें पेड़ कम बचे हैं जंगल ।
बढ रहे मकान बढ रहीं हैं फैक्ट्रियां ॥
काम करो ये फैक्ट्री ।
कम होगा ये धुंआ ॥
बंद करो ये पेड़ काटना ।
बर्फ पिघलना होगी कम ॥
बचेगी नष्ट होने से पृथ्वी ।
और बचेगा आदमी ॥
मिलेगा जीवन फिर से ।
और बचेगी ये पृथ्वी ॥
लेखक :सोनू कुमार
कक्षा :८
अपना घर
कक्षा :८
अपना घर
1 टिप्पणी:
सुन्दर,
बहुत बढ़िया बच्चे!
'प्रथ्वी' नहीं 'पृथ्वी'
पता है न 'ऋ' की मात्रा :)
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