जीवन के हर उमंगों से,
तितली व उसके पंखों से...
आसमान में उड़ती नीली- पीली पतंगों से,
यह धरती है तो मनुष्यों से...
पक्षियों से , जीव- जंतुओं से,
आसमां के हर तारों -सितारों से...
अगर जीवन है तो पेड़-पौधों से,
सूरज से, चन्दा की रोशनी से...
हवा से, मिटटी से, पानी से,
शान्ति से, दोस्ती से, मोहब्बत से...
जीना है तो जियो मुस्करा के,
मरना है तो मरो मुस्करा के...
लेखक: आदित्य, कक्षा ७, अपना घर
4 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर विचार हैं आपके ...आप जैसे इस दुनिया में रहें तो ये दुनिया ही सुंदर हो जाए...स्नेह
सुन्दर रचना.
bahut sundar aditya. bahut acha likhte ho.
GREAT WORK DONE KEEP IT UP....:)
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