पानी काले बादल में
नीले नीले आसमान में॥
पानी काले बादल में।
बादल है या कोई छाया।
ये तो है प्रकृति की माया॥
कब ये पानी बरसाएगा।
हमको कब तक तरसाएगा॥
जब यह पानी बरसेगा।
धरती को पहले सींचेगा॥
हम भी नहायेंगे पानी में।
नाव चलाएंगे नाली में॥
पानी की बुँदे गिरेंगी तन पे।
मेरे मन को लगेंगी छन से॥
पानी में झम - झम कूदेंगे।
हम मस्ती में सब डूबेंगे॥
हम सब झूम के नाचेंगे।
संग में सबके गायेंगे॥
सबके संग नहायेंगे।
पानी से बाहर न आयेंगे॥
पानी पाकर धरती होगी हरियाली।
घर- घर में आयेगी खुशियाली॥
नीले नीले आसमान में॥
पानी काले बादल में।
बादल है या कोई छाया।
ये तो है प्रकृति की माया॥
कब ये पानी बरसाएगा।
हमको कब तक तरसाएगा॥
जब यह पानी बरसेगा।
धरती को पहले सींचेगा॥
हम भी नहायेंगे पानी में।
नाव चलाएंगे नाली में॥
पानी की बुँदे गिरेंगी तन पे।
मेरे मन को लगेंगी छन से॥
पानी में झम - झम कूदेंगे।
हम मस्ती में सब डूबेंगे॥
हम सब झूम के नाचेंगे।
संग में सबके गायेंगे॥
सबके संग नहायेंगे।
पानी से बाहर न आयेंगे॥
पानी पाकर धरती होगी हरियाली।
घर- घर में आयेगी खुशियाली॥
लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर, कानपूर
1 टिप्पणी:
बहुत ही सुन्दर ...........बधाई
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