बुधवार, 15 जुलाई 2009

सम्पादकीय: १२ जुलाई २००९

सम्पादकीय
प्यारे दोस्तों नमस्ते,
उम्मीद है आप सभी का स्कूल शुरू हो गया होगा। हम लोग भी अब स्कूल जाने लगे है, गर्मियों कि छुटिया बड़े मजे में बीती उम्मीद है आप लोगो ने भी छुट्टियों का जम के मजा लिया होगा। हमारा "बाल सजग" इस समय थोड़ा ढीला चल रहा हैयह हम सब साथियों की कमी हैं, मै सभी साथियों से निवेदन करता हूँ, कि अपनी प्यारी -प्यारी कविता और कहानी लिखे और बाल सजग में शामिल करेजिससे अपना "बाल सजग" पुनः पहले जैसा हो जाय इसी को लेकर एक बात याद आती है जो की इस प्रकार हैजब बदल गरजते है और बारिस होती है तो किसान को बड़ा मजा आता है, उसी तरह जब "बाल सजग" में कविता और कहानी का भंडार होता है तो पढ़ने वालों और देखने वालो को बड़ा मजा आता हैजो बच्चों के साथ-साथ बडों का भी मन बहलाए वही बाल सजग कहलाये... तो साथियों हम अपने "बाल सजग" को और अच्छा बनाये और अपने सपनो को बाल सजग पर सजायेंबाल सजग के पाठकों से हम सबका अनुरोध है की आप अपने सुझाव हमें निरन्तर देते रहे जिससे हमें उत्साह और मार्गदर्शन मिलता रहे। "बाल सजग" का विकास आप सब के सहयोग के बिना अधूरा है...

सम्पादक: अशोक कुमार, कक्षा , अपना घर
उप संपादक: ज्ञान कुमार, कक्षा , अपना घर
बाल सजग
अपना घर, बी०-१३५/८, प्रधान गेट, नानकारी
आई० आई० टी० , कानपूर-१६
फोन: ०५१२-2770589

2 टिप्‍पणियां:

अर्कजेश ने कहा…

बच्चों की रचनाशीलता को बढावा देने के लिये शुरु किया गया आपका यह कार्य अत्यन्त सराहनीय है ।

और भी छोटे बच्चों की रचनायें दीजिये ।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

अशोक और ज्ञान जी ,
आप दोनों को बहुत बहुत बधाई ,इतना अच्छा सम्पादकीय लिखने के लिए .उम्मीद करता हूँ आप आगे भी ऐसे ही लिखते रहेंगे .
हेमंत कुमार