"बाल मजदूर "
नाजुक हाथों ने क्या कर दिया पाप,
जन्म से ही दे दिया कामों का वनवास |
कलियों जैसी खिलने वाले उस मासूम,
जिंदगी को कर दिया तबाह |
हर बचपन के लम्हों को,
हर सजाये हुए सपनों को |
दो मिनुट में कर दिया राख,
दर्दनाक जिंदगी उसे तडपा दिया |
बचपन के खिलौनों की जगह,
जिंदगी से लड़ना सिखा दिया |
पेन ,किताब और कॉपी की जगह,
कम का बोझ इर पर लाद दिया |
नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7 , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है, जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | विक्रम को कवितायेँ अच्छे से लिखी आती है | विक्रम ज्यादातर समाज पर लिखते हैं और उस कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं | बड़े होकर एक नेक इंसान बनना चाहते है |
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