" एक पल ऐसा था "
एक पल ऐसा था,
जब मुझको पता न था |
अचानक से तापमान,
बढ़ता जा रहा था |
मन भी इधर उधर ,
मचलता जा रहा था |
चक्कर जैसा हो रहा था,
मुझको सोने का मन |
जिससे मुझको हो गया फीवर,
तापमान न मेरा घटता था |
होकर इससे मैं परेशान,
सोने लगा रातों -रात |
ठीक हुआ चार दिन बाद,
जो था मेरा पल का बेकार दिन |
नाम : कुदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
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