सोमवार, 29 अप्रैल 2019

कविता : वोट का खुमार

" वोट का खुमार "

वोट का ये खुमार है,
भाजपा को दे या कांग्रेस को |
न मिले तो सपा को दो,
चरों ओर से बेमिशाल से प्रचार है |
अबकी बार किसकी सरकार है,
सभी को वोट डालने का अधिकार है |
१८ से ऊपर खुला बहार है,
सभी को सही नेता चुनने का अधिकार है |
क्योंकि उनके हाथ में वोट का हथियार है | |


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार  के नवादा जिले के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वः अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम पढ़लिखकर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं क्योंकि उनका मन्ना है की जिस परिस्थिति से मैं आया हूँ मैं भी उन्हें कुछ दे सकूँ |


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