मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

कविता : लम्हा जो मैंने खो दिया

" लम्हा जो मैंने खो दिया "

वह लम्हा जो मैंने खो दिया,
हर कदम वह लगन जो मैंने कम कर दिया |
वह याद आती है और दुबारा बुलाती है,
जोश और होश में आने की आशा दिलाती है |
दिमाग और दिल तड़पकर कुछ कर
जाने को आहट निकलती है |
खोकर वह एक नया पहचान बनाना चाहती है |
वह लम्हा जो खो गया उसे पाना चाहती है,
वह अपने - आप में मशाल बनना चाहती है |


कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी है | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | पढ़लिखकर रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं | विक्रम बहुत ही हसमुख छात्र हैं |