" सुबह का मौसम "
ये सुबह का मौसम
कुछ ऐसा होता है |
जो सुबह फिर सोने पर,
मजबूर कर देता है |
धीरे धीरे हौले हौले
ठंडी ठंडी बहती ये हवाएँ |
मेरे शरीर को छूकर है जाती,
पता नहीं वह क्या कह जाती |
शोर होता है यहाँ,
चिड़ियाँ चहकती है जहाँ |
बड़ा खूबसूरत होता है,
ये सुबह का नजारा |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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