" हिंदुस्तान में पली- बड़ी है हिंदी "
हिंदुस्तान में पली -बड़ी है हिंदी,
देश के हर गली में है हिंदी |
जिह्वा के हर कण में है हिंदी,
मातृभाषा के हर शब्द में है हिंदी |
मातृभाषा रूपी भाषा है हिंदी,
शब्दों को जानने की अभिलाषा है हिंदी |
देश की शान बढ़ाता है हिंदी,
जन -जन पहचान बनाता है हिंदी |
हिंदी की लालिमा को जानों,
हिंदी के अक्षरों को पहचानों |
यह तो हिंदी भाषा का बहार है,
इस भाषा में शब्दों का भंडार है |
हिंदी में बिंदी लगाए रखना,
हिंदी भाषा की शान बढ़ाए रखना |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले है और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | यह कविता प्रांजुल ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में लिखी है जिससे की हम अपने देश की मातृभाषा को कभी नहीं भूले बल्कि इसकी चर्चा और दूसरों तक फैलाए |
1 टिप्पणी:
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/09/2018 की बुलेटिन, ध्यान की कला भी चोरी जैसी है “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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