सोमवार, 3 सितंबर 2018

कविता :पाँच उँगलियाँ मिलने से

" पाँच उँगलियाँ मिलने से "

पाँच उँगलियाँ मिलने से , 
एक हाथ बन जाता है |
हर जन लोग मिलने से , 
एक समाज बन जाता है |
एक दूसरे का साथ दो तो , 
वह  सहारा बन जाता है |
पहाड़ के बीच झरना निकलने से , 
एक किनारा बन जाता है |
मन में जिज्ञासा भर लो तो , 
वह जिज्ञासु कहलाता है |
अच्छे कर्म करने से ही , 
वह महान बन जाता है | 

कवि : प्रांजुल कुमार  ,  कक्षा : 9th  ,  अपना घर 

                                                                               
 
कवि परिचय : ह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक  इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और अच्छे से पढ़ाई करके दूसरों की मदद करना चाहते हैं | 

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