शनिवार, 1 सितंबर 2018

कविता : चाँद

" चाँद "

बैठ बिस्तर पर चाँद निहारता, 
उसकी किरणों को आँखों में भरता | 
अंधियारे को दूर मैं करता, 
सभी में एक उम्मीद भरता | 
गोल मटोल है इसका आकार, 
देख तो मन में आया विचार | 
क्यों न इसको समझा जाए, 
इसके बारे में उत्तर पाए | 
शीतल करता हैं मन को ये, 
चमककर भी न जलता है ये | 

कवि परिचय : प्रांजुल कुमार ,  कक्षा : 9th ,  अपना घर 

                                                                                   

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहें हैं | प्रांजुल ने अपनी कविता में चाँद के बारे में बताया है की हमें हमेशा जिज्ञाशु रहना चाहिए | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

कोई टिप्पणी नहीं: