" चाँद "
बैठ बिस्तर पर चाँद निहारता,
उसकी किरणों को आँखों में भरता |
अंधियारे को दूर मैं करता,
सभी में एक उम्मीद भरता |
गोल मटोल है इसका आकार,
देख तो मन में आया विचार |
क्यों न इसको समझा जाए,
इसके बारे में उत्तर पाए |
शीतल करता हैं मन को ये,
चमककर भी न जलता है ये |
कवि परिचय : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहें हैं | प्रांजुल ने अपनी कविता में चाँद के बारे में बताया है की हमें हमेशा जिज्ञाशु रहना चाहिए | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |
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