" आसमां को छूकर आऊँगा "
मैं सूरज की रौशनी बनकर,
उजाला धरती पर पहुँचाऊँगा |
जो मैंने कुछ बनने के सपने देखे थे,
वह मैं जीवन में सच कर दिखाऊँगा |
जितनी भी बाधाएँ आएँगी,
हर पल साहस दिखाऊँगा |
निडर होकर उस बाधा को,
मुकाबला कर दिखाऊँगा |
जोश और साहस को जगाऊँगा,
जमीं आसमां को छूकर आऊँगा |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी में रहकर अपनी पढ़ाई कर | विक्रम की कवितायेँ हमेशा हम सभी को प्रेणना देती हैं हमें कभी भी जल्द ही हार नहीं माननी चाहिए | विक्रम एक कविकार बनना चाहते हैं |
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