" रक्षाबंधन "
रेशम का यह डोर,
जो तूने बाँधी है बहना |
हर एक एक कदम पर,
खुशियाँ तुझको ही है देना|
मैं जमीं पर भी रहकर,
तुम्हें आसमां में उड़ाना सिखाऊँगा |
हिम्मत से मैं तुम्हें आगे,
आगे चलना सिखाऊंगा |
हर मुश्किलों में साथ,
मेरा साथ देना होगा |
इस रेशम की डोर की,
कीमत मैं जरूर चुकाऊँगा |
हमेशा खुश तू रहना,
मुबारक है तुमको
रक्षाबंधन बहना | |
कवि : देवराज कुमार, कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर ये पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं और साथ ही साथ अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं |
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