रविवार, 2 सितंबर 2018

कविता : खुदा सम्मान है

" खुदा सम्मान है "

खुदा नहीं इस जहान में,  
नहीं तेरी इन्द्रियों के ज्ञान में | 
वो सदा तुम्हारे साथ है,  
आदर और सम्मान में | 

खुदा खुद को जानता है, 
अपने घर को पहचानता है | 
जहाँ आदर और सम्मान है,  
वहीँ उसका विश्राम है | 

खुदा को कहीं खोदा नहीं जाता, 
खुदायी को कहीं खोजा नहीं जाता | 
क्योंकि खुदा खोदने की चीज़ नहीं,  
और खुदायी खोजने की चीज़ नहीं | 

वो है सबके अंदर,  
बकरी हो या बन्दर | 
कवि : हंसराज कुमार  , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं हंसराज कुमार अपना घर के पूर्व छात्र है जो की घाटमपुर के रहने वाले हैं | हंसराज अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं | हंसराज ने बहुत सारी रोचकभरी कविताएँ लिखी हैं | 

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