" खुदा सम्मान है "
खुदा नहीं इस जहान में,
नहीं तेरी इन्द्रियों के ज्ञान में |
वो सदा तुम्हारे साथ है,
आदर और सम्मान में |
खुदा खुद को जानता है,
अपने घर को पहचानता है |
जहाँ आदर और सम्मान है,
वहीँ उसका विश्राम है |
खुदा को कहीं खोदा नहीं जाता,
खुदायी को कहीं खोजा नहीं जाता |
क्योंकि खुदा खोदने की चीज़ नहीं,
और खुदायी खोजने की चीज़ नहीं |
वो है सबके अंदर,
बकरी हो या बन्दर |
कवि : हंसराज कुमार , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं हंसराज कुमार अपना घर के पूर्व छात्र है जो की घाटमपुर के रहने वाले हैं | हंसराज अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं | हंसराज ने बहुत सारी रोचकभरी कविताएँ लिखी हैं |
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