" ये खुला आसमान है अपना "
ये खुला आसमान है अपना ,
जिस पर सजाना है सपना |
हर एक दिन हो अपना ,
जिस पर हक़ हो अपना |
जीने और मरने की हो आज़ादी ,
जाति धर्म में नहीं करेंगे बर्बादी |
जिस जहाँ में कुछ कर सकते है ,
एक दूजे के साथ रह सकते है |
मन में सदा जिज्ञासा हो ,
एक ऐसा अपना जहां हो |
जिस पर सपने अपने हो ,
एक ऐसा जहां हो |
जहां तुम और हम हो | |
कवि : प्रांजुल कुमार, कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की कक्षा 9th के छात्र है और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कविताएं लिखने का बहुत शौक है | यह बड़े होकर एक महान व्यक्ति बनने के साथ -साथ एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |
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