" बारिश का दिन आया "
पहले काले बादलों ने डराया ,
फिर पानी खूब बरसाया |
बारिश का दिन आया ,
बूंदों का भंडार लाया |
गर्मी का तापमान गिराया ,
मेंढक भी खूब टर्र - टर्रया |
किसानों का भी मन बहलाया ,
बंजर जमीं को खूब भिगाया |
बारिश का यही है माया ,
कहीं धुप और कहीं छाया |
कवि : कामता कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं कामता जो की बार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। कामता को एक दूसरों की मदद करना बहुत अच्छा लगता हैं | कामता बड़े होकर कुछ होनहार काम करना चाहते हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें