" आँखों के ख्वाब "
नन्हें आँखों के ख्वाब चूर हो गया ,
क्योंकि मैं उस लम्हें से दूर हो गया |
प्यारी सी आँखों में ,जिसमें ख्वाब थे,
जिसमें सपने सजे थे, नींद न आने की |
आज वो खुद से नाराज हैं,
बात करता है सो जाने की |
खुद को सम्भालनें में थोड़ा समय लगा,
और फिर से एक नया सपना सजा |
जिसके रास्ते लम्बे हैं समय कम है,
इसमें वही निकल पाता , जिसमें दम है |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं , पढ़ने में बहुत अच्छे हैं और खेल भी बहुत अच्छा खेलते हैं | देवराज जीवन में कुछ बनना चाहते हैं इसीलिए बहुत मन लगाकर पढ़ाई करते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ साथ डांस भी कर लेते हैं |
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