" लोगों की भरमारी "
ये दुनिया है कितनी प्यारी
जहाँ है लोगों की भरमारी |
कुछ से लोग होते हैं अमीर,
तो कुछ से लोग होते हैं गरीब |
जिनमें है ऊँच नीच ,
न जाने कब होंगे एक समीप |
खाने की हो रही है बर्बादी,
भूखे सो रहे बहुत सी आबादी |
न जाने कब होगा ये ठीक,
ये दुनियाँ बहुत है नीच | |
नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप कवितायेँ लिखने के साथ - साथ डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | कुलदीप ने २०१५ से कवितायेँ लिखना शुरू किया था और आज वह बहुत अच्छा कविता लिख लेते हैं |
2 टिप्पणियां:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन घनश्याम दास बिड़ला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
छोटी सी उम्र में दुनिया क्या है, अच्छे से समझा दिया कुलदीप ने
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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