" गर्मी "
चीखती है जिंदगी हमारी,
गर्मियों की चलती हवाओं में |
चल रही है जिन्दगी हमारी,
इस सूखे एक बूँद पानी में |
नहीं चलती थी ऐसी हवाएं ,
आज से पहले किसी ज़माने में |
क्यों किया मानव ने ऐसा काम,
जो सहना पड़ रहा ४० का तापमान |
ये गर्मी की हवाएं, होठो की मुस्कान,
यूँ ही चुरा ले जाती है |
अगर हसना भी चाहे तो,
पेट में दबी सी रह जाती है |
नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं नितीश हर गतिविधी में हिस्सा जरूर लेते हैं | मन से बहुत चंचल और दयालु हैं |
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