" जीवन के मोड़ "
जीवन के मोड़ अनजान होते हैं,
हर नए मोड़ में हम मेहमान होते हैं |
समझकर चलते रहना है हमको,
हर मुसीबत को सुलझाना है तुझको |
किस मोड़ पर क्या हो पता नहीं होता,
मोड़ पर ख्वाईस और उल्लास होता |
इस कठिन राह पर मेहनत करनी पड़ती हैं,
कठिन परिश्रम से ही प्रतिभा निखरती है |
पल पल चौकन्ना रहना है राहगीर,
क्योंकि तुम ही हो एक निडर महावीर |
नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
1 टिप्पणी:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पंडित माखनलाल चतुर्वेदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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