"जीना छोड़ दे "
जिंदगी में दुःख है तो,
हम सोचते हैं जीना छोड़ दे |
जब सभी दरवाज़े बंद हो,
तब एक उम्मीद के सहारे जीते हैं |
हम करते हैं इंतज़ार उस किरण का,
जो हमारे लिए हुआ बना हो |
काश हमारी जिंदगी भांग न हो,
समाज में थोड़ा सम्मान हो |
फूलों में से थोड़ी खुशियां,
मेरे परिवार में भी हो | |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार हैं जो की बिहार के नवादा जिले से कानपूर जिले में पढ़ने के लिए आये हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिखा करते हैं | इसके साथ - साथ नृत्य भी बहुत अच्छा कर लेते हैं |
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