" जल - जलकर जलता जाऊँ "
जल - जलकर जलता जाऊँ,
किसी को नुकसान न हो पहुँचाऊँ |
मेरे जलने से जग की सोभा हो,
न जलूँ तो सृस्टि में अँधेरा हो | |
हर एक ख्वाब को सजाऊँ,
हर सपना को साकार करूँ |
जल जलकर जलता जाऊँ | |
उजालों का मैं ही एक जरिया हूँ,
लाखों करोड़ो वर्ष पुराना हूँ |
मेरी जिंदगी कब ख़त्म हो जाय,
किसी को भी ये ही पता नहीं |
लेकिन फिर भी मैं जलता हूँ,
जल जलकर जलता जाऊँ | |
नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : नितीश कुमार वैसे तो बिहार के रहने वाले हैं फिर भी कानपुर में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | इनके परिजन कानपुर में रहकर ईंट भट्ठों में काम करते हैं | पढाई में बहुत मेहनत करते हैं और टेक्नोलॉजी में बहुत माहिर हैं |
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