" काश कोई समझ पाता "
काश मुझे कोई समझ पाता,
आकाश को भी मैं छू पाता |
सबसे ऊँचा मैं कहलाता ,
अपने ख्वाइशों को आजमाता|
माँ का दुलार और प्यार पाता ,
सपनों को स्वीकार कर पाता |
सारा संसार में छा जाता,
तब मैं तेरे पास आता,
बदल बनकर बरस जाता ||
नाम : संतोष , कक्षा : 4th , अपनाघर
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