" काश मैं एक रौशनी होता "
काश मैं एक रौशनी होता ,
संसार को रौशनी दे पाता |
ताकि हर व्यक्ति देख पाता,
चाहे हो काना चाहे आनर |
सबको मंजिल मैं दिखाता,
खुद उसके साथ मैं जाता |
वो अपना रास्ता तय कर पाता,
मैं उसका साथ निभा पाता |
काश मैं एक वो रौशनी,
संसार को रौशनी दे पाता |
नाम : समीर कुमार , कक्षा 7th , अपनाघर
कवि परिचय : ह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद से अपनाघर पढ़ने के लिए आये हुए हैं | माता पिता ईंट भट्ठों में निकासी गिरी का काम करते हैं | पढ़ाई में अपना बहुत अफर्ट देते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ संगीत भी बहुत अच्छा | बहुत ही नेक और चंचल बालक हैं समीर कुमार |
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