सरकार को शायद नहीं पता
हर एक चौराहों पर ,
खड़े हैं पुलिशवाले.....
चौराहों की चौकी में बैठकर,
पूंछते हैं अपनी जन्म कुंडली......
उनकों शायद यह नहीं पता कि,
चौराहों पर लग गयी है वाहनों की मंडली....
सरकार को भी शायद यह नहीं पता ,
पुलिशवाले किसको रहें हैं सता .....
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
2 टिप्पणियां:
बढ़िया कविता
अच्छी कविता!!!
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