शनिवार, 9 जुलाई 2011

कविता - एक दिन के लिए

कविता - एक दिन के लिए
एक दिन के लिए ,
दुखी था जिस दिन....
आज भी याद हैं ,
क्या भारत की जनता आजाद हैं?
सबको भारत से प्यार था ,
एक दिन के लिए ....
नेता जी आए थे ,
हाथ जोड़े थे पैर छुए थे....
चुनाव जीतने के लिए ,
सबके ताने सुने थे ....
एक दिन के लिए ,
हम अंग्रेजों के गुलाम थे .....
आप  उनको जानते हैं ,
उनसे मेल - जोल भी हैं तो .....
एक दिन के लिए ,
बहुतो ने द्रढ निश्चय किया हैं.....
भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ,
सबको जोश  आया भी तो....
एक दिन के लिए......
लेख़क - आशीष कुमार
कक्षा - ९ apna  घर ,कानपुर

1 टिप्पणी:

andria ने कहा…

Kanpur GDP is approx 17 Billion but then also it is a neglected city. It’s like child which have no parents. Govt is not ready to pay any heed to its development then why we are paying our precious money as taxes. Why Lucknow is being developed by leaps and bounds and Kanpur stands first and foremost in unhygienic conditions, poor infrastructure and dugged up roads. I think we should all raise slogan “Clean Kanpur, Green Kanpur”. The citizens should take responsibility on their shoulders and try not to spit on roads.

kanpur