हो मानव का कल्याण
मच गया सभी जगह हा-हा कार ,
कौन है तेरे बिन बेकार .....
समझ है पर ज्ञान नहीं ,
लेकर तू गुरुजनों का ज्ञान ....
कर तू विश्व में अपना नाम ,
जिससे देश न हो बदनाम .....
कर तू हर दम येसे ही कार्य ,
जिससे मानव का हो कल्याण.....
लेखक : अशोक कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
3 टिप्पणियां:
बहुत उमदा। बधाई।
सुन्दर कविता... बहुत-बहुत बधाई...
बहुत सुंदर रचना ....
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