छोटे पौधे कितने अच्छे ,
फूल लागे हैं कितने ....
गेंदा गुलाब हैं फूल अनेक,
बगीचे में लगते हैं सब इक....
पौधे हमें लगते अच्छे,
कितने प्यारे कितने अच्छे ....
कलियाँ खिलती खिलता फूल,
छोटे पौधे कितने अच्छे.....
पौधे हमें लगते अच्छे ,
कलियाँ खिलती खिलता फूल ....
कितने अच्छे लगते फूल....
लेख़क धर्मेन्द्र कुमार कक्षा ८ अपना घर कानपुर
3 टिप्पणियां:
main pehli baar is blog par aayi hoon, and now i am following you! Very nice effort.
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सुन्दर प्रस्तुति
गाँधी बाबा की जय हो
इधर काफ़ी दिनों के बाद बाल सजग पर आया लेकिन बहुत ही सुन्दर रचनायें पढ़ने को मिलीं। धर्मेन्द्र जी को हार्दिक बधाई।
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