रविवार, 3 अक्टूबर 2010

कविता सही हमें नहीं पता

सही हमें नहीं पता
असमान हैं नीला नीला ,
कपडे पहने पीले पीले....
पानी बरसे होले होले,
असमान हैं क्या .....
हमें नहीं हैं पता ,
पानी क्यों बरता हैं....
बिजली क्यों गरजती हैं,
असमान हैं नीला क्यों....
यह हमें नहीं पता हैं,
यह हमारी मजबूरी हैं....
दूसरे हमें सताते हैं,
जो कोई भी पूछता हैं....
तो गलत बताते हैं ,
सही उत्तर हम नहीं जानते हैं....
असमान हैं नीला नीला,
कपडे पहने पीले पीले ....
लेख़क मुकेश कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

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