सोमवार, 27 जुलाई 2009

कविता: बरसते पानी में

बरसते पानी में
बरस रहा है पानी,
कैसे मै बाहर निकलू ....
इस पानी को कैसे बंद करें,
ये है ऊपर वाले की मेहरबानी.....
बरसते हुए पानी में,
बहते हुए पानी में....
नहाने का मन कर रहा है,
पर अन्दर से डर लग रहा है.....
पानी खूब बरस रहा है,
खेलने को मन तरस रहा है...

लेखक: ज्ञान कुमार, कक्षा ६, अपना घर

1 टिप्पणी:

अर्चना तिवारी ने कहा…

अरे भई पानी में भीगने में तो बड़ा मजा आता है....आप डरतें क्यों हैं ?