" हर पल सुहाना लगता है "
हर पल सुहाना लगता है,
हर कल बेगाना लगता है |
हर सुबह नयी लगती है,
हर मंज़िल नज़दीक लगती है |
हर सपना सच लगता है,
हर घर पुराना लगता है |
ख्वाइश पर खेलना भी बेगाना लगता है,
तारों का टिमटिमाना सुंदर लगता है |
बच्चों की तरह खिलखिलाना अच्छा लगता है,
क्योंकि हर पल सुहाना लगता है |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है | कुलदीप छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप डांस भी अच्छा कर लेते हैं | कुलदीप को पढ़ना , खेलना और अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेना बहुत अच्छा लगता है |
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