" बिगड़ती पर्यावरण "
जिनको जीना था,
वे सब जी गए
बड़े आराम से
जब सब कुछ साफ था, सुंदर था
तो वे जिए बड़े आसानी से |
कठिन कर दिया जीना,
हमारी युवा पीढ़ी को |
जिसने बेकार कर दिया,
इस साफ पर्यावरण को |
नष्ट कर रहे है,
हम सबका भविष्य
जो हम जीने वाले हैं,
ख़त्म कर रहे है वे सपने
जो मैंने देखे हैं |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
" बिगड़ती पर्यावरण " है | नितीश इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहतें है की पर्यावरण दिन बद्र ख़राब हो रहा है और इसके कारण है आज के इंसान | आने वाली पीढ़ी कैसे जिएगें यह नहीं सोच रहे है | पर्यावरण को शुद्ध रखें |
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