" मौसम "
यह मौसम है बड़ा सुहाना,
मन करता है बस इसी में जीना |
इस मौसम में किसी को तो है भीगना,
क्योंकि किसी को न आता पसीना |
मन करता है बस इसी को जीना,
नहीं होगी मुश्किल अब देखना |
क्योंकि अब है हमें सिर्फ खेलना,
इस मौसम से बातें है करना |
यह मौसम है बड़ा सुहाना,
मन करता है बस इसी में जीना |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर कवितायेँ के अलावा संगीत और खेलकूद गतिविधियों में भी अच्छे हैं | पढ़लिखकर अपने परिवार की सहायता करना चाहते हैं |
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