" मेरा पन्ना "
ऐसा क्या हो जाता है,
जब नम्बर कम आता है |
मैं भी क्या सोचूँ ,
जो हर पल गलत ही लगता है |
हर पन्ने को मैंने सजाया,
विचारों को उसमें समाया |
सोचा न था हो जाएगी गलती,
इतना पढ़ा फिर भी मिला रददी |
हर शिक्षक के तने हैं पड़ते,
मैं भी जानूँ क्या की वे मुझसे जलते |
हर पन्ने में चलता है लाल - लाल,
लगता है मैंने कर दिया कुछ बेहाल |
ऐसा क्या हो जाता है,
जब नम्बर कम आता है |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप ने यह कविता अपने एक पन्ने पर लिखी है जिसका शीर्षक " मेरा पन्ना " हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें